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मंगलवार, 28 जुलाई 2009

जवानों को खतरा -- एड्स से !!!!


अ‌र्द्धसैनिक बलों के लिए नक्सलियों, आतंकियों और उग्रवादियों से भी बड़ा एक खतरा है! ऐसा खतरा जो बिना जंग लड़े ही अ‌र्द्धसैनिक बलों को खोखला कर रहा है। जी हां, जटिल व जुझारू जीवन के बीच आनंद के चंद क्षण गुजारने में जवान एड्स के चंगुल में फंस कर जान गंवा रहे हैं। चिंताजनक तथ्य है कि एड्स अब तक 1300 जवानों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है और 400 जवान जान गंवा चुके हैं।

एड्स का दानव न सिर्फ अ‌र्द्धसैनिक बलों, बल्कि राज्यों की पुलिस को भी लील रहा है। खतरा कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एचआईवी/एड्स से बचाव के लिए सीआरपीएफ ने जो हेल्पलाइन शुरू की, उसमें सात माह में ही 50 हजार फोन आ गए। इस खतरे को समझते हुए गृह मंत्रालय जल्द ही दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर का एक सम्मेलन भी आयोजित करेगा।

अ‌र्द्धसैनिक बलों में खास तौर से बीएसएफ व सीआरपीएफ के जवानों में एचआईवी का संक्रमण ज्यादा हुआ। गृह मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, सबसे ज्यादा कठिन परिस्थितियों में इन्हीं दोनों बलों के जवान काम करते हैं। ऐसे में वेश्याओं या दूसरी महिलाओं के संपर्क में इनका आना बहुत अस्वाभाविक नहीं है। एड्स या दूसरे किस्म के यौन रोगों का शिकार भी इन्हीं दोनों बलों के जवान सबसे ज्यादा हो रहे थे। उन अधिकारी के मुताबिक, यदि यौन संबंध कायम करते समय सुरक्षा उपाय लें तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है। मगर सरकार के सामने समस्या है कि दुरुपयोग की आशंका के मद्देनजर वह आधिकारिक तौर पर शारीरिक संबंध बनाते समय कंडोम या दूसरे सुरक्षा उपायों के आदेश नहीं दे सकती।

छत्तीसगढ़, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर या सीमा पर तैनात जवान ही नहीं, दिल्ली या अन्य महानगरों में तैनात जवान भी एड्स के शिकार हुए हैं। परिवार के साथ रह रहे अफसरों या सैनिकों का भी इस नामुराद बीमारी के चंगुल में फंसना सरकार को परेशान कर रहा है। इसके मद्देनजर, गृह मंत्रालय ने सिर्फ इसी मद में चार करोड़ रुपये से ज्यादा का आवंटन किया। इसके तहत जनवरी में सीआरपीएफ ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन [नाको] के सहयोग से चौबीस घंटे की हेल्पलाइन सेवा शुरू की। टोल फ्री टेलीफोन नंबर 1800112111 और एक अन्य नंबर 011-24369914 चालू किया। एक साथ 30 लाइनों वाले इन नंबरों ने कमाल किया और हर माह 6,000 से 8,000 लोगों ने काल कर अपनी उत्सुकताओं का समाधान किया।

इतना ही नहीं, हर माह पहले और तीसरे गुरुवार की शाम 4 से 7 बजे तक पुलिस महानिरीक्षक [प्रशासन] और उप महानिरीक्षक [कल्याण] भी जवानों व दूसरे अफसरों की समस्याएं सुनने के लिए बैठ रहे हैं।

हेल्पलाइन नंबर पर आई कालों का ब्यौरा

जनवरी 7,042

फरवरी 6,812

मार्च 8,165

अप्रैल 6,282

मई 6,306

जून 7,254

जुलाई 7,531

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कुल 49,392

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