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गुरुवार, 20 अगस्त 2009

बना रहेगा शास्त्री जी की मौत का रहस्य


प्रधानमंत्री कार्यालय ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत से जुडे़ एक मात्र उपलब्ध दस्तावेज को सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया है। इसके लिए सूचना का अधिकार कानून [आरटीआई] के तहत गोपनीयता बरतने की व्यवस्था का हवाला दिया गया है।

शास्त्री जी की वर्ष 1966 में तत्कालीन सोवियत संघ के शहर ताशकंद में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उनकी मौत का रहस्य अब भी नहीं सुलझा है।

प्रधानमंत्री कार्यालय के इंकार के बाद अब शास्त्री जी की मौत से जुड़े इस दस्तावेज को सार्वजनिक करने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग के पास अपील की जाएगी। इससे पहले केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने शास्त्री जी की मौत से जुड़ी जानकारी पाने के लिए आरटीआई के तहत दायर याचिका ठुकरा दी थी। उन्होंने माना था कि पूर्व प्रधानमंत्री की मौत से जुड़ा एक दस्तावेज प्रधानमंत्री कार्यालय में है। यह याचिका 'सीआईएज आई आन साउथ एशिया' नामक पुस्तक के लेखक अनुज धर ने दी थी। यहाँ यह बताना जरूरी है कि यह वोही अनुज धर है जिन्होंने नेताजी सुभाष चंद बोस की गुमशुदगी के रहस्य के विषय में भी काफी शोध किया है और तो और श्री धर के प्रयासों के चलते ही सरकार को बाध्य हो कर मुख़र्जी आयोग को ताइवान जाने की अनुमति देनी पड़ी थी |

फैसले के खिलाफ उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में अपील की थी। इसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय की संयुक्त सचिव विनी महाजन ने कहा कि मांगे गए दस्तावेज को आरटीआई की धारा 8 [1] [ए] के तहत गोपनीय रखा जाना सही है।

वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद शास्त्री जी ताशकंद गए थे। वहां पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ उन्होंने वार्ता की थी। दोनों देशों की संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही देर बाद रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई थी।

यह हम सब के लिए बहुत ही शर्म की बात है के अपने ही देश के पूर्व प्रधानमंत्री की मौत का कारण जानना इतना कठिन हो रहा है | और तो और यह भी समझ के परे है कि सरकार कौन से कारणों का हवाला दे रही है जिन की वजह से इस मामले को दबाया जा रहा है 'गोपनीयता बरतने की व्यवस्था' के नाम पर ??

( श्री अनुज धर के नेताजी सुभाष चंद बोस के विषय में किए गए प्रयासों के लिए इसी ब्लॉग में पढ़े :- अनुज धर के ई-मेल और ताइवान का जवाब)

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