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मंगलवार, 4 अगस्त 2009

बदल रहे हैं संस्कृत के तेवर

यदि आप संस्कृत को गुजरे दौर की मातृ भाषा मानते हैं तो अपनी राय पर फिर से गौर फरमाइए क्योंकि बदलते युग के साथ इस भाषा के तेवर भी बदल रहे हैं।

आज इसका एसएमएस, इंटरनेट और साफ्टवेयर के जरिए धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है और इसके पठन पाठन में देश विदेश के शिक्षण संस्थानों की रूचि बढ़ रही है। आकाशवाणी और दूरदर्शन पर संस्कृत समाचार वाचन का दशकों का अनुभव रखने वाले बलदेवानंद सागर के अनुसार संस्कृत को आप केवल शास्त्रीय या पंडितों की भाषा नहीं कह सकते। क्योंकि यह किसी भी आधुनिक भाषा की तरह वैज्ञानिक विषयों को बेहद सरल ढंग से अभिव्यक्त कर सकती है।

उन्होंने कहा कि हम अपने समाचारों में बेहद सरल भाषा में सैटेलाइट, स्वाइन फ्लू और एचआईवी जैसे आधुनिक विषयों की जानकारी देते हैं। आकाशवाणी के संस्कृत समाचारों की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन समाचारों को प्रसारित करने के अलावा हम इन्हें अपनी वेबसाइट पर पीडीएफ फाइल और आडियो फाइल में रखते हैं। इन समाचारों को डाक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक समेत तमाम लोग देखते और सुनते हैं तथा अपनी प्रतिक्रियाएं भेजते हैं। सागर ने में कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के विकास ने संस्कृत के विकास के लिए तमाम द्वार खोल दिए हैं। कई साफ्टवेयर संस्कृत में बन रहे हैं। न्यूज एनवेंडो नामक आडियो साफ्टवेयर तो पाणिनि के व्याकरण पर आधारित है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को बोलने, पढ़ने और समझने वालों की देश में एक बड़ी संख्या है। बहुतेरे समाचार पत्र और पत्रिकाएं संस्कृत में प्रकाशित हो रही हैं, जिनमें कई तो दैनिक पत्र हैं। देश विदेश में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि बढ़ रही है।

सागर ने कहा कि किसी भारतीय के लिए संस्कृत बोलना उसकी मातृभाषा बोलने के समान ही आसान है। इसमें दिक्कत सिर्फ झिझक दूर करने की है। देश में कई संस्थान है जो लोगों को संस्कृत बोलना सिखाते हैं और इसके काफी अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं। राजधानी दिल्ली के सेंट स्टीफन कालेज में संस्कृत के प्राध्यापक डा. चन्द्रभूषण झा ने बताया कि संस्कृत भाषा भी आधुनिक माहौल के अनुसार बदल रही है। इसको एक बेहद सरल बात से समझा जा सकता है। आजकल लोग मोबाइल फोन पर संस्कृत के एसएमएस का आदान प्रदान कर रहे हैं।

झा ने कहा कि उन्होंने ऐसे करीब दो सौ एसएमएस एकत्र किए हैं और जल्द ही वह इस पर एक पुस्तक तैयार करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज संस्कृत की कई पत्र पत्रिकाओं का इंटरनेट संस्करण निकल रहा है। मैसूर से पिछले 40 साल से निकल रहा संस्कृत दैनिक सुधर्मा का इंटरनेट संस्करण भी शुरू हो चुका है। इसी प्रकार 'ई शारदा' सहित कई संस्कृत पत्रिकाओं का इंटरनेट संस्करण आ गया है।

इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय संस्कृत अध्ययन के लिए इसी माह से एक नया आनलाइन कोर्स शुरू करने जा रहा है। इस पाठ्यक्रम के संयोजक राहुल रंजन ने बताया कि छह माह का यह पाठ्यक्रम अपने आप में अनूठा होगा क्योंकि इसमें अंग्रेजी के माध्यम से संस्कृत सिखाने का प्रयास किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि प्राचीन भारतीय ज्ञान की वाहिका होने के कारण लोगों की संस्कृत में रूचि बढ़ रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए इग्नू ने चिन्मय इंटरनेशनल फाउंडेशन के सहयोग से यह कोर्स शुरू किया है। इसके तहत आनलाइन शिक्षा के अलावा बीच-बीच में व्याख्यान आयोजित किए जाएंगे जिसके जरिए विशेषज्ञ विद्यार्थियों को व्याकरण आदि सिखाएंगे। रंजन ने कहा कि संस्कृत शिक्षा का यह सर्टिफिकेट कोर्स आधुनिक शिक्षा के अनुरूप वैज्ञानिक पद्धति से तैयार किया गया है तथा इसे पूरी तरह से सरल भाषा में बनाया गया है।

1 टिप्पणी:

  1. संस्कृत मस्तिष्क को झकझोर देने वाली भाषा और साहित्य का नाम है। इसके पुन: प्रचलन से भारत का उद्धार होगा; भारतीय भाषाओं में एकता के फूल खिलेंगे। देश की एकता को बल मिलेगा। किसी भाषा का साहित्य कितना प्रगतिशील और उन्नत हो सकता है इसकी कल्पना करनी हो तो संस्कृत साहित पढ़ना चाहिये।

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