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शनिवार, 15 अगस्त 2009

दुर्भाग्यपूर्ण :- नकली मास्क का कारोबार पनपने लगा



यह आश्चर्यजनक है कि स्वाइन फ्लू को लेकर फैल रही दहशत का लाभ उठाने के लिए राजधानी दिल्ली में नकली मास्क का कारोबार पनपने लगा है। मामूली छींक या सर्दी-जुकाम पर भी मास्क के लिए बढ़ती मारामारी देखते हुए मौकापरस्त तत्व इसे भी भुनाने से बाज नहीं आ रहे। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इस तरह के मास्क सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरते इसलिए इनसे कोई लाभ नहीं है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने स्वाइन फ्लू के लिए जिम्मेदार एच1एन1 वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए सिर्फ तीन स्तरीय लेयर वाले एन-95 श्रेणी के मास्क को ही कारगर माना है। ऐसे में खौफजदा लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर धड़ल्ले से घटिया मास्क बेचना न केवल मानवता के खिलाफ है बल्कि यह कानूनन जुर्म भी है। विडंबना यह है कि स्वाइन फ्लू को लेकर हर तरह की एहतियात बरतने का दावा करने के बावजूद देश की राजधानी दिल्ली में चल रहे इस अवैध कारोबार को लेकर शासन-प्रशासन की नींद अभी भी नहीं टूटी है। अनजान लोग भले ही ऐसे घटिया मास्क पहनकर अपने को पूरी तरह सुरक्षित समझ रहे हों, लेकिन सच्चाई यही है कि यह उन्हें स्वाइन फ्लू के संक्रमण से कतई नहीं बचा सकता।

हैरानी की बात यह है कि मानवता के इन सौदागरों के प्रति केंद्र और दिल्ली सरकार का रवैया अभी भी उदासीन बना हुआ है। यह सही है कि स्वाइन फ्लू के प्रभाव से निपटना सरकार के लिए भारी चुनौती है, लेकिन यही समय है जबकि सरकारी मशीनरी को अपनी सक्षमता साबित करनी है। आपदा के इस अवसर पर पारस्परिक सहयोग की जगह लोगों की विवशता का फायदा उठाने वाले तत्वों के खिलाफ अविलंब कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। लोगों को भी अनावश्यक रूप से भयभीत नहीं होना चाहिए। वायरल के इस सीजन में जरा सी परेशानी होते ही अस्पतालों में लाइन लगाने और घटिया मास्क पहनने से परहेज करने की जरूरत है। अगर अस्पतालों और सार्वजनिक स्थानों पर जाना जरूरी ही हो और गुणवत्तायुक्त मास्क उपलब्ध न हो सके तो बेहतर होगा कि साफ-सुथरे कपड़े या तौलिए को चेहरे पर लपेटकर निकलें। यह भी अपेक्षित है कि प्रशासन के साथ-साथ पुलिस को भी ऐसे अधिकार दिए जाएं ताकि अवैध मास्क का कारोबार करने वालों को दंडित किया जा सके।

4 टिप्‍पणियां:

  1. जलते तवे पे सभी रोटियाँ सेंकना चाहते हैँ

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  2. मीडिया द्वारा इतनी भयावहता फैलाने के बाद यह तो होना ही था !!

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  3. स्वाईन फ्लु.............. सच में किसी महामारी की तरह बढ़ता आ रहा है............और व्यापारी तो बस कमाना चाहते हैं.........

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  4. चाहे कोई मरे या जिए, बस इन लोगों को तो अपने मुनाफे से मतलब है!

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